अंटार्कटिका किसका है भाग 2

ये देश थे-नॉवें, इंग्लैंड, फ्रांस, अर्जेंटीना, चिली, अंश्वहूँलिया और न्यूजीलैंड । पर इसे बाँटने में तीन बडी समस्याएँ यी । पहली बात यह कि यह था एक गोलाकार महाद्वीप, जिसपर ये लोग कवल तटवर्ती इलाकों मॅ पहुँच पाए थे, तो इसका बैटचारां हो कैसे 2 इसका समाधान किया गया, अंटार्कटिका को कैक की तरह काट-काटकर ! सारे दावे इसर्क केंद्र से शुरू होते थे, समुद्र क्री और फैलते हुए; कैक का यह टुकडा मेरा, यह दूसरा टुकडा तुम्हारा और यह तीसरा टुकडा उसका!

पर दूसरी समस्या कैक कै टुकडों को लेकर यहीं से पैदा हूई, वही जो छोटे बच्चों में होता है, ‘तुमने बडा टुकडा ले लिया, “मेरा टुकडा छोटा है’ ! या फिर, ‘मैं बो बाला टुकडा लूँगा, मैं यह चाला नहीं दूँगा’ ! ! इनमें आपस में कभी सहमति नहीं हो पाइं कि किसका हिस्सा कितना है । पहले इन देशों में विवाद हुए, फिर झगडे हुए और फिर आपस में अंटार्कटिका में गोलियों चलॉं, एक-दूसरे कै स्टेशन जला दिए गए । अगर यह सब चलता रहता तो अंटार्कटिका भी अन्य इलाकों कौ तरह एक युद्धक्षेत्र में बदल जाता: तब वहॉ भी वही सब हो रहा होता, जो जाकी सारी धरती पर हो रहा है ।

पर तीसरी एक ऐसी समस्या आई, जिसने सबकुछ बदलकर रख दिया । उस समय क्री दोनों महाशक्तियों, अमेरिका और सोवियत संघ; ने इस वंदरबॉंट को न तो स्वीकार किया और न ही कैक कै किसी टुकडे पर अपना हक जताया 1 इसलिए नहीं कि ये दोनों देश रटते-वैरागी मानसिकता कै हों गए थे, बल्कि इसलिए कि वे घूरे-र्क-घूरे कैक को डी क्या कस्ना चाहते थे 1 1 अपने इरादों को सफ़ल बनाने कै लिए श्न दोनों बडी ताकतों ने अटार्कटिका में एक-दो नहीं, दर्जनों स्टेशन बसाने शुरू कर दिए: जगह-जगह फैलकर हर क्षेत्र मॅ अपने स्टेशन बना डाले ।

और चूंकि कैक कै बंटवारे कै सारे दावे उसर्क केंद्र दक्षिणी ध्रुव से ही आरंभ ढोते थे, अत: ठोक दक्षिणी ध्रुव पर अमेरिका ने अपना एक प्रमुख स्टेशन ‘एमंडसन-स्कॉट’ बसा डाला ! यह इस तरह की बात हुई कि ‘कैक कै बीच का हिस्सा मेरा है, अब देखें तुम कैसे काटोगे यह कैक १ १” उसकी टक्वार में सोवियत संघ ने भी अटार्कटिका कै भौगोलिक केंद्र पर अपना एक बड़ा स्टेशन ‘बोस्लोक’ बसर दिया । दोनों महाशक्तियाँ आपस में भी राजी नहीं हो पाईं कि इसे कैसे बॉटा जाए। इस तरह यह सारी-कौ-सारी बंदरबॉंट बेकार हो गई, कैक का एक भी टुकडा न तो मिला तुझको, न ही मिला मुझको ! !

इन सारे झगडों कै बीच बारह देशों कै वैज्ञानिकों ने मिलकर सत् 1957-58 कै बीच अंटार्कटिका कौ बडे पैमाने पर खोज की । इसे ‘अंतरराष्ट्रपैय भू-भौंतिको वर्ष’ का ऩाम दिया गया । हर अनुसंधान में बिथिन्न देशों कै वैज्ञानिकों ने सहयोग से कार्य किया । यह अंटार्कटिका में भाईचारे और साझेदारी से सरथ-साथ रहने और मिलकर काम करने का एक नए युग का आरंभ था । इन वैज्ञानिकों कै कार्य कौ सफलता कै बाद इनकै देशों की सरकारों ने इस माहौल क्रो बनाए रखने र्क लिए आगे बातचीत की । परिणाम आया सन् 1961 से लागू ‘अंटार्कटिक सधि’ कै रूप में । पहले कै सात दावेदार देशों कै अलावा अमेरिका, सोवियत संघ, जापान, दक्षिण अफ्रीका और बेल्जियम ने भी इस संधि पर हस्तग्रक्षर किए। धीरे-धीरे आपसी सहयोग की इस संधि को कई अन्य देशों ने भी स्वीकार कर लिया । ‘ ‘

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