॰ पसीने से सावधान अंटार्कटिका और पसीना १ क्यऊ कुछ गलत सुना? नहीं, बिलकुल ठोक है, अंटार्कटिका में भी पसीना आ जाता है और यह बहुत खतरनाक होता है ! पसीना तब आता है जब हम ठंड कै डर से इतने अधिक कपडे पहन लेते हैं, जिनकी जरूरत नहीं है या फिर सामान उठाने-ढोने या …
रहस्यमय अंटार्कटिका
जरूरी है एक साथी यह वार-चार बताया जाता है कि अंटार्कटिका में कहीं भी चाहर जाते समय आप अकैस्ने न जाएँ, आपर्क साथ एक साथी होना बहुत जरूरी है । कहीं पैर में मोच ही आ जाए या आप किसी बफीली दरार में मिर जाएँ अथवा गरमी में कहीं पानी में पैर गीले हो जाएँ; …
बडो ताकतों ने अटाकॉंटेका में एक-दो नहीं, दर्जनों स्टेशन बसाने शूरू कर दिए: जगह-जगह फैलकर हर क्षेत्र में अपने स्टेशन बना डाले । और चूंकि कैक कै बंटवारे कै सारे दावे उसर्क केंद्र दक्षिणी ध्रुव से ही आरंभ होते थे, अत: ठोक दक्षिणी ध्रुव पर अमेरिका ने अपना एक प्रमुख स्टेशन ‘एमंडसन-स्कॉट’ बसा डाला ! …
भारतीय रथेना में अफसर रहे अपने पति कै साथ डॉ. विल्कु अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, हिमाचल प्रदेश, कष्टमीर और त्नदूदारव्र कै दुर्गम ब्लाकों में डॉक्टरट की तरह काम कर चुकी हैं 1 सत् 1979 में एक निर्जन पहाडी ल्लार्क में दुर्घटनाग्रस्त एक बस में घायल दर्जनों लोगों को जाने अकेले हीं बचाने कै कारण मिजोरम सरकार …
क्या महिलाएँ भी जाती हैं वहाँ? स्कूलों, कॉलेजों, गोष्ठियों में-जहाँ भी मैंने अंटार्कटिका पर व्रस्तांएँ दो हैँ, एक सवाल हमेशा पूछा जाता है, ‘क्या वहाँ पर महिलाएँ भी जा सक्रत्ती हैँ2’ इसका उत्तर हैक्वें-ढाँ, निश्चित रूप से ! न कैबल वे अंटार्कटिका जाती हैं, बल्कि अभियानों मॅ उल्लेखनीय योगदान भी देती हैं । भारत ” …
यह संहार तब तक चलता रहता है जब तक खाते-खाते सारी लेपर्ड सीर्ले पूरी तरह से तृप्त नहीं हो जातीं ! इसर्क बाद मानी मॅ उतरे हुए चाकी बच्चे तैरकर सुरक्षित निकल जाते हैँ, क्योंकि मारनेवाला भी मारते-मारते और खाते-खाते थक चुका होता है ! ऐम्परर पेंगुइन यह पेंगुइन पक्षियों में सबसे बडी प्रजाति है …
फरवरी तक वे समुद्र में शिकार करने लायक हो जाते हैं । अगर एक अंडा ठीक न निकला तो उस साल दोबारा घर बखाना संभव नहीं हो सकता, इसलिए एक अतिरिक्त अंडा देना अपने वंश को चलाने का बीमा कराने की तरह है ! ‘ ३ पर इस तरह को पारिवारिक बीमा योजना से पैदा …
पैंगुइन की बस्तियॉ ‘रुकरो’ कहलाती हैं । हर साल ऐक्ली पेंगुइन लगभग उसी स्थान पर लोटकर अपनी बस्ती बसात्ती हैं । घोंसला बनाने कै ये स्थान इनकी बीट से भरे होते हैं । इस बीट में पाए जानेवाले कार्बन कै अंश को ‘काबंनड-डेटि’ग’ की विधि द्वारा ‘ठीक-ठीक भापकर इसकी उम्र बताई जा सकती है । …
इसर्क बाद ठंड से बचने का दूसरा कवच है मोटापा । हर पेंगुइन का सारा शरीर चरबी की एक दीवार जैसी मोटी परत से ढका होता हैं । ऐम्यरर पेंगुइन में तो यह परत 2 इंच तक मोटी होली है, यानी साइकिल कै हवा भरे हुए टूयूब्र जैसी ओटी 1 और यह चरबी उसफे पूरे …
अंटार्कटिका में जीवन
जिसे स्वीकार करने को कोई भी तैयार नहीं होता ! ,लेविन्न घोंसलों में सबकै भूखे बच्चे इंतजार कर रहे होते हैं, खाना नहीं मिला तो वे बचेंगे नहीं । आखिर भूख और ममता से बाध्य होकर कोई पैंगुइन छलाँग लगा ही देती है और उसर्क पीछे तो फिर खेप-को-खेप ऐडलो पानी में कूदतौ ही जाती …