अंटार्कटिका का जीवन भाग 2

यह संहार तब तक चलता रहता है जब तक खाते-खाते सारी लेपर्ड सीर्ले पूरी तरह से तृप्त नहीं हो जातीं ! इसर्क बाद मानी मॅ उतरे हुए चाकी बच्चे तैरकर सुरक्षित निकल जाते हैँ, क्योंकि मारनेवाला भी मारते-मारते और खाते-खाते थक चुका होता है !

ऐम्परर पेंगुइन

यह पेंगुइन पक्षियों में सबसे बडी प्रजाति है । ऐम्परर पेंगुइन करीब सवा मीटर का यानी 4 फीट तक ऊँचा होता है, एक बडे आदमी की कमर जितना लंबा ९ इसका वजन भी 35 -40 किलो तक पहुँच जाता है ।

ऐम्परर सबसे तेज तैरनेचालो पेंगुइन भी है । पानी कै भीतर इसकी रफ्तार 60 किलोमीटर प्रति घंटे से भी अधिक नापी गई है, अर्थात् पानी कै नीचे ग्नि दौडती एक मोटरकार की तरह 1 अपनी इस गति कै कारण यह हुँ’मृर्द सील जैसै शिकारियों की क्वाड़ में भी नहीं आती है ५ क्लि खाने लिए इसकी डुबकियां भी आश्चर्यजनक हैं । यह ठंडे महासागर में अश्या से भी अधिक गहराई तक गोता लाभकर मछलियों पकड़ली है । सॉस लेने कै लिए इसे सतह पर आना तो पडता है, पर एक बार में यह 15८16 मिनट तक सांस रोक सकती है । स्सकी कूल अनृमानित सख्या लगभग 4 दृनाख है ।

सारे समुद्रो जानवर और पक्षी सर्दी कै मौसम मॅ अंटार्कटिका को छोडकर उत्तर कै दीपों की और पलायन कर जाते हैं । कैक्ल दो ही प्राणी हैं. जो साल भर अंटार्कटिका में ही रहते हैं-पहला है ऐम्परर पेंगुइन और दूसरी वैडल सील । यह पक्षो न र्कवल धूरी सर्दी यहीं बिताता हैं, बल्कि इसने अपना घर बनाने का समय भी दूसरी पैंगुइनों से बिलकूल उलटा कर दिया है । जब अंटार्कटिका में घोर अँधेरा होता है, तूफान चलते रहते, हैं, जानलेवा सर्दी होती है उसी समय यह अपने अंडे सेने और चूजे पालने का काम करता है ! जहाँ ऐडली पेंगुइन कै चूजे करीब डेढ-दो महीने तक अपने मॉ-बाप पर भोजन कै लिए निर्भर रहते हैं, ऐम्परर पैंगुइन कै चूजों में यह आश्रित अबरन्या लगभग छह महीने की होती है । तो शीत ऋतु में अंडे देने का लाभ यह सोता है कि जब तक ऐम्पग्न मैंमृस्म पौ “पै बैठे डीका समुद्र में जाने लायक होने हैं तव तक गरमी का मौसम आ क्या है और मक्यों कै लिए खूप भोजन उपलब्ध होता है । ऐक्ली पँभुश्व कौ आयु र्फव्रप्त । 5 वर्ष तक आंकी गर्द है; उडार्क

मुकस्याले ऐम्परर पेंगुइन करीब 40 साल की उम्र तक जिंदा रहते हैं ।

फरवरी में अंटार्कटिका की छोटी सी ग्रीष्म ऋतु समाप्त डी जाती है । झीलों का जमना आरंभ हों जाता है और मार्च तक तो सागर भी जमने लगता हैं । अप्रैल कै महीने में अंधेरा गहराने लगता है और सारे प’छो अंटार्कटिका क्रो छोडकर चरने जाते हैं । मइं कै महीने में तो सूरज भी विदा ले लेता है, 24 घंटे होती है बस रांत-हीँ-रात । और तव जून कै मास में मादा ऐम्परर पेंगुइन एक अंडा देती है । तुरंत ही नर ऐम्परर इस अंडे क्रो उठा लेता है और अपने पंजों कै ऊपर रख लेता है । अपने पेट से लटकती एक खाल से ढककर वह इसे ठंड से क्चब्बता है ।

मादा ऐम्परर खाना खाने कै लिए चल देती है । तब तक अंटार्कटिक सागर तट से 500 किलोमीटर तक जम चुका होता है । मादा ऐम्परर पैदल चलतेड्डेचलते यह दूरी पार करली है और फिर अगले कई सप्ताह तक खुले पानी में शिकार करती रहती है ।

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