अंटार्कटिका का जीवन चक्र

फरवरी तक वे समुद्र में शिकार करने लायक हो जाते हैं । अगर एक अंडा ठीक न निकला तो उस साल दोबारा घर बखाना संभव नहीं हो सकता, इसलिए एक अतिरिक्त अंडा देना अपने वंश को चलाने का बीमा कराने की तरह है ! ‘ ३ पर इस तरह को पारिवारिक बीमा योजना से पैदा ढोती है एक ऐसी समस्या, जिसे कोई भी मानबीय मॉ कभी नहीं झेलना चाहेगी और अगर पेह स्थिति उसक सामने आ ही जाए तो वह इसे कभी नहीं सुलझा पाएगी 1 इस समस्या का मूल कारण है ऐडली पेंगुइन का छोटा आकार और उस पर आधारित शिकार करने क्रो सीमित क्षमता। नर और मादा” ऐक्लो दोनों ही बदरी-चारी से अंडे क्रो सेने की और शिकार पर जाने कौ जिम्मेदारी उठाते हैँ. एक-दूसरे से पूरा सहयोग कस्ते हैं; पर फिर भी वे दोनों मिलकर भी इतना भोजन नहीं ला पाते कि दो बढते हुए बच्चों को पाल सकें ! ‘

अगर वे दोनों बच्चों में वह भोजन बॉट दें तो उनमें से एक मी जिंदा नहीं बचेगा ! इसका समाधान ऐडली पैंगुइन बहुत ही व्यावहारिक और निर्मम तरीर्क से करली है । बच्चों कै थोडा बडक्च होने र्क बाद वह जब भी भोजन लेकर आती है घोंसले पर, तो बच्चों क्रो खाना दिखाकर ललचाती तो है, पर खाना देती नहीं और फिर दूर भागने लगती है ! दोनों बच्चे चिल्लाते हुए उसकै पीछे दौडते हैं, पर बह खाना देती नहीं, भागती जाती है । इस तरह कुछ दूर की दौडा-भामी कै बाद एक बच्चा थककर पीछे रह जात्ता है, मजबूत बच्चा आगे आ जाता है । उसी मजबूत बच्चे को मिलता है भोजन का इनाम ! हर बार वह दौड जीतता है और खा-खाकर स्वस्थ तथा बडा होता जात्ता हैँ । और कमजोर बच्चा हर बार यह रेस हार जाता है, तब उसर्क हिस्से में आती है. धीरें-धीरें बढती हूई . मूख, ठंड से आती हूई कमजोरी और फिर किसी शिकारी स्कुआं की चोंच में मीत गु ९ अपने आप फैसला हो जात्ता है कि क्रिस बच्चे क्रो याला जाए। ‘

ऐडलो पैंगुइन का सबसे बडर दुश्यन है लेपर्ड सील । यह करीब 3 मीटर यानी 10 फीट तक लंबी होती है और वजन होता है 300 किलो तक । लेपर्ड सील कै आहार में ल्हेल क्रो छोडकर अंटार्कटिक सागर का हर प्राणी शामिल है । कैबइंटर सील इसका मुख्य शिकार होती है; पर यह पैंगुइनॉ, दूसरी स्रीलों और क्लि को भी खूब खाती है । यह एकदम निडर होती है, कयोंकि अंटार्कटिका कै समुद्र में किलर ल्हेल को छोडकर इसकी टफ्फर का कोई शिकारी है ही नहीं । मौका मिलने पर यह पैकआइस पर खडे आदमियों पर भी हमला कर देती है ९

सामर कै तट पर जहाँ भी पेंगुइन पानी में उतरती हैं, वहाँ लेपर्ड सील अकसर घात लगाकर पानी में छुपी रहती है । यह धीरे-धीरे तैरती हूई एक काली धटूटान की तरह मानी में दिखाई देती है । शार्क ख़तरे कै कारण ऐक्ली मैंगुरुन दो मुंर्डों में पानी दो किनारे पर एक अनोखा व्यवहार देखा जाता है । लाइन बनाकर एक कै बाद एक पेंगुइन किनारे

पर आती शाती हैं और फिर ‘पहले आप’ ’शरवो आपस मृड़ली जाती हैं 1 फाफी देर तक यह ‘पहले आप पहले आप’ का आग्रह क्या रहता है,

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